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मोतीलाल छापरवाल


बता विश्व का चित्र में, कठेक थारो खेत।
लड़रयो थूँ निज भ्रात सूँ, जणी खेत रे हते।701
बहू करगसा सासरै, चणां चाब री सेक।
देवरसुत ऊबो भड़ै, दाणो दियो न एक।702
बरसाँ रहस्यूँ जीवतो, या मत राखै आस।
कुण जाणै आसी कनीं, अबै  दूसरो साँस।703
बहुधा खल लोभी मनख, मीठा बोलर बोत।
चणा फेंक कर फाँस ले, जीं विध व्याध कपोत।704
बहु तीखो बोले वचन, दया न हिरदा माँह।
वीं सूँ छेटी रेवणो, भर्ड़ लागणो नाँह।705
बच्चा लायक बाप का, अतरा टुच्चा काँह।
सोबत थाँकी रात दिन, ओछा लुच्चा माँह।706
बरछी सूँ भी दुःखद है, कड़ा बोल की मार।
मोती बोली बोलजे, पेली सोच विचार।707
बणग्यो बाप सहेज सूं, सोनो लेर अमीर।
पण सोना-सा पूत ने, लाड़ी मिली कथीर।708
बजा देत जन तालियाँ, मन भाती सुन बात।
अणभाती तो गालियाँ, अर ऊपर सूँ लात।709
बाधाँ आई बहुत पण, म्हे कीदो यो काम।
थारा ईंण ही कथन रो, अहंकार है नाम।710
बात सुणो सबकी सदा, सुण अर करो विचार।
सार लखो तो त्याग हठ, ग्रहण करो सौ बार।711
बाप उठाई नीं कदी, सूती बैठी गाय।
ज्यारा बेटा गाँवरी, चुगल्या फरफर खाय।712
बाप भणायो पूत नै, काट-फाट कर पेट।
पूत सूट सिगरेक कै, करी कमाई भेंट।713
बात-बात में आपरै, है मूंडा में गाल।
बालक थारा बोल जद, रहसी सीख्या टाल।714
बालक ये बणसी कँई, चतुरा कूंतो आप।
झगड़ै घर में रात-दिन, द्यारा माँ अर बाप।715
बात सही अवसर नहीं, तो मत बोलो आप।
अवसर हो जद निडर हो, कहो दो साफ साफ।716
बात ढाँक मन री भली, चतुराई रै साथ।
पण चालै नी चतुरता, आख्याँ कह दै बात।717
बात सुणो सबकी सदा, तोल करो पुनि काम।
बिन सोच्यां मृग लेणग्या, विपदा झेली राम।718
बालपणै जद लाल नै, नहीं भणायो आप।
पूत करै अपमान तो, सहन करो चुपचाप।719
बात छिपायां नी छिपै, चातुरा साम एक।
वैद जाण ले रोग नै, केवल मूंडो देख।720
बालपणै जी लाल का, मरग्या माँ अर बाप।
हाथ फेर सिर तोकतां, कटै करोड़ां पाप।721
बाल खटावै उदर में, नारी जे नौ माँह।
बात समावै पेट में, एक घड़ी भी नांह।722
बाप थनै दी लाड़ली, सुन्दर पुता प्रवीण।
धन माँगे थूं बाप सूं, अक्कहलहीण कमीण।723
बांध बंधा, बणवा सड़क, भी मदरसा खोल।
नैतिकता बिन देश रो, नी कौड़ी रो मोल।724
बातां तो आसान हैं, कोडी लगै न एक।
बोलै ज्यूं चालें जदै, बिण नै जाणूं नेक।725
बार-बार नी मिलण की, मनख जूण अभिराम।
अगर-दगर लप्पर-चपर, छोड़ भजउ हरिनाम।726
बात सुणै सबकी नहीं, निर्यण लेय तुरन्त।
म्हूँ केऊँ ऊ है नहीं, निर्णायक बुधवन्त।727
बात-बात में सास थूँ, कां काढ़ै नत खोड।
बू सूँ लेणो का मतो, ई आदत नै छोड़।728
बात घणी सांची सही, आख्यां देखी नेक।
सुणबा वाला होय तो, कहणी अवसर देख।729
बात न मानै बाप की, और दिखावै आंख।
अस्या लाल नै एक नी, लानत देऊँ लाख।730
बाहर तो कँई और है, भोतर है कँई ओर।
आखिर उगटै एक दिन, तावै चडियो झोर।731
बाप करै मन सोवनी, जो जन मूंडो देख।
कीमत आंकी राम की, केवल कोडी एक।732
बातां हित की छापग्या, भणी पोथियाँ मांह।
भणवा सूँ कांई हवे, अमल करै जद नांह।733
बात भली पण लोग जद, भली न माने रीत।
हित अनहित नीं कोय को, कां चलणो विपरती।734
बात सही पण कह वठे, जठे कवणी होय।
बार-बार हर ठां किया, ध्यान न देवे कोय।735
बात भली पण केवणी, चोखो मोको देख।
दूंज मांयने उफणता, चोखो रह नी एक।736
बात दोय दुहरा गिया, दादा मरती दाण।
समधी करणो जागणकर, पाणी पीणो छाण।737
बात भले ही खूब थूँ, चतुराई सूँ बोल।
सच को कतरो अंश सो, चातुर लेसी तोल।738
बाप भणायो लाल ने, काट-काट कर पेट।
काम लग्यो सो अब करै, बरसां बासा भेंट।739
बाल रोग भयनाशननी, बोल थीलता मां।
हाथी, हरि, हय होवतां, गधो कवाड्यो कां।740
बिना बात ही ढोंग में, खरचो करो अनाप।
देयरिया हो दुक्ख ने, घरै निमन्त्रण आप।741
बिगड्याँ दिन में राम बिन, साथ करेगा कूण।
सज्जन एक भरकावसी, दाझ्या ऊपर लूण।742
बिकता देख्या ऊँट खर, बिकतो देख्यो नाज।
ईं युग में अब देखलो, दूल्हा बिकता आज।743
बिन परख्याँ कांई खबर, कुण दुर्जन कुण सन्त।
जम्या तेल अर धिरत री, खायाँ खबर पड़न्त।744
बिना काम नीं बेठणो, नित बाण्यां की हाट।
साख भरासी कूटता, ऊ ग्राहक की टाट।745
बिन सस्तर खल वृन्द में, रहणा मोटी भूल।
नगन शम्भु तक देख लो, राखै सदा विणूल।746
बिना बात निर्दोष भी, संगत सूँ पिस जात।
ज्यूँ चक्की रै माँयने, धुन गेहूं रै साथ।747
बिजली पै बिलजी पड़ी, रूक्यो चालतो फेन।
बाट नाल मत काढ़ ले, काम बीजणी लेन।748
बिना बात ही काँ करै, कांच ऊपरै रोष।
मुक्ख जस्यो सो बोल दै, दर्पण रो कँई दोष।749
बिना स्वारथ सेवा करे, संकट माथै लेय।
साँचो सेवक जगत में, जस औराँ नैं देय।750
बिना बात नी माँडणी, गेले चलताँ राड़।
हित कोई रो है नहीं, दोन्यूं ओर बिगाड़।751
बिना काम ही जार नत, पर घ बैठे काँह।
थूँ नवरो ऊ काम सर, आदर मिलसी नाँह।752
बुद्धिहीन धनवान की, मानत मूढ़ सलाह।
निर्धन गुणी की बात की, रत न करत परवाह।753
बुरो सोच मत होय तो, घर पड़ौस में राड़।
दांत जीभ ले चाब तो, फैंखे कंई उखाड़।754
बुणकर तेली गाँव में, मोची अर रंगरेज।
चीजआं ले याँकी बणी, पियो बार मत भेज।755
बूढो ब्याह रचाय ले, छूट बात हे चोर।
कठिन काम कर दे सुलभ, है पइसा में जोर।756
बेगारी डर सूँ छिप्यो, कुआँ माँयने जार।
मेंढक माथै बैठग्यो, नीं छूटी बेगार।757
बेटी निर्धन बाप की, प्याह लई धनवान।
देवे साला ससुर ने, सीमा तक ही मान।758
बैठ परा ी मोटरां, अकड़ै मती गंवार।
घर का खर पर ही चढ़ै, थाँसूँ भलो कुम्हार।759
बैठो मत रह काम कर, मन में राख बिसास।
जो चावै सो एक दिन, बरसा सी आकास।760
बैठक है वींरी कठै, ईं री कर लै जाण।
हो जासी वीं मनख री, पल रै माय पिछाण।761
बैठक सूं आछयो बुरो होवै असर जरूर।
नीम तलै इमली तलै, भली देख लो सूर।762
बैठी गाय उठाणबो, जठे मानता पाप।
आज वठे लाखां कटे, हाय बाप रे बाप।763
बैठ सुधारक मंच पै, उतरो कूके कांह।
कतरो थांमें चरित बल, प्रथम सोच मन मांह।764
बैण लगे जाणे अस्या, खाय रियो है काट।
वींने पागल श्वान सूं, रती न मानो घाट।765
बोल न जाणे मधुर तो, छानो रहे रे पूत।
कटुभाषी रा शीश पै, पड़ता देख्या जूत।766
बोले तो मीठो घणो, मन में राखै रांट।
कटु भाषी बींसूँ भलो, कह दे साफ-सपाट।767
बोल्या सूँ सुणसी कुणी, भी बोल दिन-रात।
सुणा देत ऊँचो चरित, बिन बोल्या ही बात।768
बोल मती देखै मती, मत सुण खोटी  ात।
सतपुरुषां की सीख या, याद राख दिन-रात।769
बोदो मेले बार तो, चातुर दै यूँ रोक।
पास बिठा मृदु बोल अर, चणा फैक धोबोक।770
बोलै थूं करड़ो घणों, मूंडै नहीं मिठास।
म्हूं पूछुँ मनड़ा थनै, अन खाबै कन घास।771
बोल सके तो बोल थूँ नीतर रह खामोश।
बणतो काम बिगाड़ दै, बेरथ जोश खरोश।772
बोल चुभै जीं का अस्या, ज्यूँ बूंल्यां री शूल।
घणा भणिया पण नीं गुण्या, ईं भणबा में धू।773
बोल सही पण चाल जद, आंवल-बांवल कांह।
पड़ग्यो दीखै पाप रो, अन्न पेट मै मांह।774
बोल सकै नीं बोल तो, चुप रहबा में सार।
आंवल-चांवल बोलकरस बाजे मती गंवार।775
ब्याज चलै देणो घणो, कलही तिरिता पूत।
नीं आमद दुश्मन घणा, दुःख कतरो सो कूत।776
ब्यांव फटी जीरे नहीं, कदी पांवरे मांह।
ऊ नर सचमुच जाणसी, पीड़ पराई नाँह।777
भला बाप का लाल कां, चाल चलै बेढंग।
अपढ़ रियो अर रै सदा, नीच नरां के संग।778
भणियो पण थां मांयने,  अंतरी अक्कड़ कांह।
कांई करियो विनय बिन, ई भणबा रै मांह।779
भणिया सूँ दूरी रहे, अणभणिया सूँ प्रती।
कमला देखी जगत में, थारी ऊँची रीत।780
भण्यो ओर भणियो गुण्यो, यां बिच अन्तर जाण।
जीं विध मूरत एक तो, इक अणघड़ पाखाण।781
भणिया सूँ सुलझे नहीं, उलझी-पुलझी बात।
अनपढ़ गुण्यो सुझाय दे, चतुराई के साथ।782
भली भणाई पोथियां, इस्कूलां में खूब।
नैतिकता गी अधिकतर, समंद मांयने डूब।783
भली चीज होतां सुलभ, देखो कस्यो अभाग।
कसी सूगली गटर में, चूंच डुबो रयो काग।784
भणिया रै दो आँख पण, है गुणिया रे चार।
असल गुण्या री अकल म्हैं, पतबाणी बहु बार।785
भणिया सूं समझै मती, अणभणिया ने हीण।
अणभणिया पण जो गुण्या, वे थाँ सूँ परवीण।786
भणभण जाणी बात म्हैं, गुरु सूं खाखा ठोक।
विद्या समंद अथाग सू, भण्यो बूंद जतरोक।787
भलो जाण कीदो घणो, दुरजन को विसवास।
केसर कह अर तोलदी, मिलती जुलती घास।788
भलो भाग आ जायतो, म्हें देखी या बात।
कुसंग छुट सत्संग करै, भजन मांहि लग जात।789
भाग प्रबल जद होय तो, दुशमण कँई करे।
वे सब लड़-लड़ परस्पर, बिन ही मौत मरे।790
भाषण धारा ठीक पण, नी कथनी सूं मेल।
यूँ नेता माने कूँणी, माने टींग पटेल।791
भाषण झाड़ो मंच पै, रंचन न चालो आप।
कां बांधो सिर ऊपरै, लपराया को पाप।792
भाई सूँ भाई लड़े, लेर हाथ में जूत।
कां रहवै पाछे जदै, वां भायां रा पूत।793
भाई तो हाट्यां लडै, बहुआं लड़ै घरै।
वां घर में जद लच्छमी, रह कर कंई करै।794
भाई भू गज दाबली, खा ग्यो पांच पचील।
अतरा साटै छूटग्यो, तरकारी को झोल।795
भाई धती दाबली, पृथक होर दो बूत।
मूँछ खींच ग्या राज में, एक बाप रा पूत।796
भाग्यवान सांचो सुखी, सांचो साधक जूण।
आश्रय लै हरि नाम को, सफल करै नर जुण।797
भायां भायां बीच  ्‌स, म्हें देखी बक झक्क।
पांती करता खाट का, ईसा ऊपला तक्क।798
भूल-चूक करणी नहीं, देख और की होड़।
पगां मायनै होल बल, उतरी करणी दौड़।799
भूल-चूक मत लागजै, देख उस्यां री लेर।
बिन पेंदी का पात्र ज्यूं, गुड़तां करै न देर।800
भूखो पड़्यो पड़ौस में, पड़ी आपनै जाण।
दै न सक्या कुछ आप तो, मनख नहीं पाषाण।801
भूल-चूक बसणो नहीं, धनवानां रै बीच।
धूप हवा रोके सदा, करै बारणै कीच।802
भूषण पहरयाँ हे कँई, बोझ रही कां तोक।
गुणसूँ दीखै सुन्दरी, गुण थामें कतरोक।803
भूल-चूक करणी नहीं, कदी टोल सूँ रोल।
गाबा बिगड़े कीच में, फेंक दियो तो टोल।804
भूल हुई कींस कदी, पछतावे मन मांह।
बार-बार कह दूखणो, कही छीलणों नांह।805
भूल एक सबसूँ बड़ी, सबा भूला रै मांह।
भूल जाणता भूल ने, मोती काढ़ी नांह।806
भूल-चूक करजे मती, मन ऊँठ्यारी भात।
ईं सूँ तो खाबो भलो, भल ऊठयाड़ो भात।807
भूलां करी अनेक पण, भूल करी नीं एक।
भूल मानली भूल नें, रती न कीदी टेक।808
भूल करै बरजै नहीं, साँची रह अनुकूल।
ऊ जन सँभलै फेर नीं, करै भूल पै फूल।809
भूल करी तो भूल मत, भलो कर्यो तो भूल।
सीख याद रख भूल मत, या सिख घणी अमूल।810
भूलाँ कीदी मोखली, जन कीदो अपमान।
सँभल्यो कीदो क्रोध नीं, सो जन बण्यो महान्‌।811
भूलख भली सह लेवणी, सह लेणा दुख लाख।
झुकबा पाप न शान बस, कथन याद यो राख।812
भेले मल, लड़वा लगै, स्वारथ तजै न रंच।
कँई करै वांरो जदे, सब समझण्या पंच।813
भेलो मल लडणो नहीं, कसर पडै तो खाव।
सेरे देर थूँ लेय ले, भली तीन ही पाव।

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